नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा की अंतिम बैठक शनिवार को हुई। आंकड़ों से जाहिर होता है कि यह युवा होने के साथ ही ज्यादा शिक्षित भी है। यही नहीं लिंगानुपात भी पहले से बेहतर है। इस सदन के करीब 400 सदस्य स्नातक हैं। हालांकि, 12वीं तक पढ़े सांसदों की संख्या भी बढ़ी है, जबकि 70 वर्ष से ज्यादा आयु वाले सदस्यों की संख्या कम और 40 वर्ष से कम आयु वाले सांसदों की संख्या अधिक हुई है।
बता दें कि 17वीं लोकसभा में 260 पहली बार पहुंचे, जबकि दोबारा चुनकर सदन में पहुंचने वालों की संख्या 16वीं लोकसभा से अधिक है। 17वीं लोकसभा के लिए 2019 में चुनाव हुए थे। भाजपा के 303 सदस्य सदन में पहुंचे थे। हालांकि, हालिया विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा के कुछ सदस्यों के त्यागपत्र के बाद उसकी संख्या घटकर 290 रह गई है। 2019 के चुनाव में कुल 397 सांसद राष्ट्रीय पार्टियों से जीतकर पहुंचे थे। इनमें 52 कांग्रेस के सदस्य हैं। मौजूदा लोकसभा में सदस्यों की औसत आयु 54 वर्ष है। 16वीं लोकसभा में 40 वर्ष से कम उम्र वाले सदस्य आठ प्रतिशत थे, जबकि 17वीं लोकसभा में ऐसे सदस्य 12 प्रतिशत हैं। इस सदन में सबसे कम उम्र की बीजेडी की चंद्राणी मुर्मु हूं। वह 2019 में 25 वर्ष 11 महीने की उम्र में निर्वाचित हुई थीं। सपा के शफीकुर रहमान बर्क सबसे उम्रदराज सांसद हैं। वह 89 साल की उम्र में चुनाव जीते थे। 2019 में 716 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। इनमें से 78 निर्वाचित हुईं। 2014 में 62 महिलाएं संसद पहुंची थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को सदन की कार्यवाही में नए मानक स्थापित करने के लिए संसद सदस्यों की जमकर तारीफ की। 17वीं लोकसभा के अंतिम सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा यह कामकाज के लिहाज से सबसे अधिक उत्पादक सत्रों में से एक रहा है और इसके लिए संसद सदस्य प्रशंसा के पात्र हैं। प्रधानमंत्री ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सांसदों को कोविड-19 महामारी के दौरान वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती करने के लिए धन्यवाद दिया।