नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी डाटाबेस पोर्टल का लोकार्पण और ‘राष्ट्रीय सहकारी डाटाबेस-2023: एक रिपोर्ट’ का विमोचन किया। इसमें मंत्री शाह ने बतया हजारों लोगों के दो वर्षों के कठिन एवं लगातार परिश्रम के बाद सहकारिता क्षेत्र की गतिविधियों की सारी जानकारियों के लिए डिजिटल आधारित डाटाबेस तैयार किया गया है। इसके माध्यम से सहाकारिता क्षेत्र की सारी सूचनाएं एवं गतिविधियां एक क्लिक पर ही आसानी से मिल जाएंगी।
इस दौरान पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि वह साहसिक फैसले लेते हैं और उन्हें अंजाम तक भी पहुंचाते हैं। अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने के लिए 75 वर्ष बाद इतना बड़ा काम हुआ है। यह डाटाबेस सहकारिता के विकास, विस्तार और आपूर्ति को कंपास की तरह दिशा दिखाएगा। जिन क्षेत्रों में सहकारी समितियां कम या कमजोर हैं, उसकी पहचान कर विस्तार में मदद करेगा। पोर्टल के जरिये छोटी सहकारी संस्थाएं अपने विस्तार के लिए मार्गदर्शन प्राप्त कर सकेंगी। इसे अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर बनाया गया है। इसमें गांवों को शहरों से, मंडियों को ग्लोबल मार्केट से और राज्यों को अंतर्राष्ट्रीय संपर्क से जोड़ने की संभावना मौजूद है। अमित शाह ने कहा कि सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री ने साहसिक फैसला लेकर उसे अंजाम तक पहुंचाते हुए अलग मंत्रालय बनाया। सभी पैक्स का कंप्यूटरीकरण हो गया है। तय किया गया है कि 2027 से पहले देश की हर पंचायत में एक पैक्स होगा। इसके बाद की समस्याओं के समाधान के लिए डाटाबेस का विचार आया। अमित शाह ने कहा कि डाटाबेस में तीन चरणों में काम हुआ है। पहले चरण में तीन क्षेत्रों यानी प्राथमिक कृषि ऋण समिति, डेयरी और मत्सियकी की लगभग 2.64 लाख समितियों की मै¨पग पूरी की गई। दूसरे चरण में विभिन्न राष्ट्रीय संघों, राज्यों, राज्य सहकारी बैंकों, जिला सहकारी एवं शहरी सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों, प्राथमिक कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों, सहकारी चीनी मिलों, जिला यूनियनों और बहुराज्य सहकारी समितियों के आंकड़े एकत्र किए गए हैं। तीसरे चरण में सभी आठ लाख प्राथमिक सहकारी समितियों के डाटा की मै¨पग की गई। इसके बाद पता चला कि देश में आठ लाख से अधिक पंजीकृत समितियों से 30 करोड़ लोग जुड़े हैं। अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने सहकारिता क्षेत्र में कंप्यूटरीकरण से जुड़े कई नवाचार किए हैं। डाटाबेस देश की सहकारिता गतिविधियों की कुंडली है। आंकड़ों की प्रामाणिकता और उन्हें अपडेट करने के लिए वैज्ञानिक व्यवस्था की गई है। नीति निर्धारकों, शोधकर्ताओं एवं स्टेकहोल्डर के लिए अमूल्य संसाधन का काम करेगा। अमित शाह ने डाटाबेस को नींव बताया, जिसपर अगले सवा सौ साल तक चलने वाली एक मजबूत सहकारिता की इमारत खड़ी होगी।