शिमला। हाईकोर्ट से हिमाचल सरकार को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार के वाटर सेस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया है। इसके बाद राज्य सरकार हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट से सेस नहीं ले पाएगी। जस्टिस त्रिलोक चौहान और सत्येन वैद्य की बैंच ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया है।
वरिष्ठ वकील रजनीश मनिकटाला ने बताया कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि प्रदेश सरकार को इस तरह का कानून बनाने का अधिकार नहीं है। जब प्रोजेक्ट लगे तो सेस नहीं था। ऐसे में प्रोजेक्ट लगाने वालों के हित सुरक्षित नहीं रहेंगे। वाटर सेस जुड़ा कानून को असवैंधिक करार दिया गया है। आर्टिकल 246 के तहत प्रदेश सरकार कानून बनाने का अधिकार नहीं है। ऐसे में अब सरकार बिजली कंपनियों से कोई सेस नहीं ले पाएगी। बता दें कि राज्य में मौजूदा समय में 172 जल विद्युत परियोजनाएं हैं जिससे 10 999 मेगावाट विद्युत क्षमता का उत्पादन हो रहा है। इन प्रोजेक्टों से सालाना करीब 2000 करोड़ रुपये का आय का अनुमान लगाया गया था। बीते साल 25 अक्टूबर 2023 को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने भी सभी राज्यों को पत्र लिखकर वॉटर सेस को अवैध और असंवैधानिक बताया था। अब हाईकोर्ट से भी सरकार को झटका लगा है। हिमाचल की सुक्खू सरकार ने प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर लाने के लिए ऊर्जा उत्पादकों पर वॉटर सेस लगाने का निर्णय लिया था। वॉटर सेस की दर 0.06 से लेकर 0.30 रुपये प्रति घन मीटर तय की गई थी। राज्य जल उपकर आयोग ने सितंबर में कई ऊर्जा उत्पादकों को वाटर सेस के बिल जारी कर दिए थे। बीबीएमबी,एनटीपीसी, एनएचपीसी समेत कई अन्य ऊर्जा उत्पादकों ने प्रदेश सरकार के इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है।