विजय बहुगुणा
श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो)। दोस्तो आज के जमाने में हम एकांकी परिवार के पोषक हैं,हमको अपने अलावा कुछ सूझता नहीं,हमारी अपनी जरूरतें इतनी बढ़गई हैं कि हम बग्गीपर जोतेगए खच्चर की तरह होगाए हैं,की तरह हमारा जीवन रहगया है,प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में चार पैसे का बड़ा मात्व है इसलिए शायद वे कहते थे कि इंसान चार पैसे कमाने के लिये मेहनत करता है,बेटा कुछ कम करोगे तो चार पैसे घर पर आएंगे,आज चार पैसे होते तो कोई ऐसा या वैसा न बोलता आदि-आदि आखिर क्यों चाहिए हमें सिर्फ ये चार ही पैसे,चार ही क्यों तीन या पांच क्यों नहीं,तीन पैसों में क्या कमी हो जाएगी,ओर पांच होंगे तो क्या बढ़ेगा,तो आइए और इन चार पैसों के महत्व को समझने की कोशिश करेंगे इसके गणित को भी समझौते। पहला पैसा भोजन के लिए अर्थात अपना व अपने परिवार के भरण पोषण के करने के लिए,दूसरा दायित्व पिछला कर्जा उतरना है,अर्थात अपने माता पिता की सेवा करने के लिए,इसे हम अपना कर्तव्य पालन कर ही सकते हैं,क्योंकि माता पिता ने ही हमारी परवरिश करके इस जगह तक पहुंचाने में हमारी सहायता की है और अब हमको उनकी सेवा करनी चाहिए,यही हमारा उत्तर दायित्व है। तीसरा दायित्व आगे कर्ज देना है,यानि संतान का पालन पोषण,पढ़ाई लिखाई कर कर किसी काबिल बनाने के लिएखर्च करना ताकि हमारी वृद्धावस्था में वह हमारा भी ख्याल रख सके,थी उसी प्रकार जिस प्रकार हमने अपने माता पिता का ख्याल रख रहे हैं,और चौथा पैसा कुएं में डालने के लिये,अर्थात शुभ कार्यों के लिए,जैसे दान,पुण्य,संतों की सेवा,असहायों की सेवा में लगाना व निष्काम सेवा के लिये क्योंकि हमारे द्वारा किए गए शुभ कार्यों के लिए हमारे चार पैसों की जरूरत होती है। यदि तीन पैसे रह गये तो हम चौथा कार्य नहीं कर सकते और पांच पैसे की हमे बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है,यही चार पैसों का अंकगणित है,यदि हम सब लोग इस गणित को समझ लिंगे तो शायद संसार में ये आपा धापी से बचा जा सकता है,अतिरिक्त की क्या,क्यों,ओर किसको है जरूरी। नोट :- इसी पांचवे पैसे ने आज की पीढ़ी को बर्बाद कराड़िया है जितना ज्यादा धन आएगा उसके साथ उतनी बुराइयां भी आती है,इस लिए मेरा अनुरोध है कि इस चार पैसे की अहमियत को अपनाए नकारे नहीं यही संदेश हमारा जो माने उसकी भी जय जो न माने उसकी विजय।