लखनऊ। 27 फरवरी को होने वाले राज्यसभा के चुनाव में एक-एक सीट जीतने के लिए 37 विधायकों के मतों की जरूरत है। भाजपा को सभी आठ प्रत्याशी जिताने के लिए 296 विधायकों के वोट की जरूरत होगी इसके लिए भाजपा एमएलसी की पांच मई को रिक्त होने वाली सीटों का भी सहारा ले सकती है। राज्यसभा चुनाव की 10 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में भाजपा ने आठ व सपा ने तीन प्रत्याशी खड़े किए हैं। भाजपा के सात व सपा के दो प्रत्याशी तो आसानी से जीत जाएंगे, लेकिन 10वें प्रत्याशी को जिताने के लिए दोनों ही दलों के पास पर्याप्त मत नहीं हैं। ऐसे में दोनों दलों की नजर सेंधमारी पर टिकी हुई है और वो इसके लिए सारे जतन कर रहे हैं।
ऐसे में भाजपा की भी नजर सेंधमारी पर लगी हुई है। भाजपा ”वफादारी” दिखाने वाले दूसरे दलों के विधायकों को ”इनाम” दे सकती है। इसके लिए भाजपा पांच मई को रिक्त होने वाली विधान परिषद की 13 सीटों का भी सहारा लेती दिख रही है। इसके चुनाव भी घोषित हो गए हैं। यूं तो राज्यसभा के चुनाव में दलबदल कानून लागू नहीं होता है लेकिन विधायक को अपनी पार्टी के पोलिंग एजेंट को मतपत्र दिखाकर ही वोट देना होता है। ऐसे में यदि कोई विधायक क्रास वोट करता है तो पार्टी को तत्काल पता चल जाता है। भले ही इस चुनाव में दूसरी पार्टी को वोट देने से उसकी सदस्यता नहीं जाती है लेकिन नैतिकता के आधार पर यदि किसी विधायक को क्रास वोट देने के लिए बाद में त्यागपत्र भी देना पड़ा तो भाजपा उसे एमएलसी बनाकर वफादारी का इनाम दे सकती है। विधानसभा में संख्याबल के हिसाब से भाजपा एमएलसी की 13 सीटों में नौ सीट तो आसानी से जीत जाएगी, किंतु 10वीं सीट के लिए उसे संघर्ष करना पड़ेगा।