श्रीनगर गढ़वाल। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड (एनआईटीयूके) के निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी ने अपनी विदाई से पूर्व संस्थान के कर्मचरियों और बीटेक चतुर्थ वर्ष के छात्रों के लिए “डायरेक्टर’स डिनर” का आयोजन किया। इसके अलावा संस्थान के संकाय कल्याण अनुभाग द्वारा निदेशक महोदय के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने के लिए एक विदाई समारोह का भी आयोजन किया गया ।
इस अवसर पर प्रोफेसर अवस्थी ने छात्र-छात्राओं से अनुशासन, सहनशीलता, प्रेम और सहिष्णुता जैसे गुणों को विकसित करने का सन्देश दिया। उन्होंने छात्रों के उज्जवल भविष्य की कामना की और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हुए कहा की सर्वप्रथम अपना लक्ष्य र्निधारित करें और फिर उसे पाने के लिए जी जान से जुट जाए। जीवन में आने वाली छोटी – मोटी चुनौतियों और समस्यामओं से भागे नहीं, उनका डटकर सामना करें और समाधान ढूढ़ने का प्रयत्न करें।
अपने सम्बोधन में प्रोफेसर अवस्थी ने फैकल्टी वेलफेयर सेक्शन, शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों और सहकर्मियों को उनके लिए भव्य विदाई समारोह का आयोजन करने के लिए धन्यवाद दिया । एनआईटीयूके समुदाय को निरंतर सफलता की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि “यद्यपि की मैं यहाँ से जा रहा हूँ, पर मुझे पूरा विश्वास है कि हम सबने मिलकर जो सकारात्मक बदलाव शुरू किए हैं, वे एनआईटी उत्तराखंड के विकास की गाथा लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मैं आने वाले समय में एनआईटीयूके परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए खुशी और महान उपलब्धियों की कामना करता हूं।”
इस दौरान डीन फैकल्टी वेलफेयर, कुलसचिव और मौजूद अन्य कई लोगों ने प्रोफेसर अवस्थी को उनके कार्यकाल के दौरान एनआईटीयूके को दिए गए सहयोग और संचालन प्रणाली में समग्र परिवर्तन लाने के लिए उनके समर्पण और प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।
उल्लेखनीय तथ्य यह है पूरी दृढ़ता और उत्साह के साथ चुनौतीपूर्ण कार्यों के प्रति रुचि रखने और त्वरित निर्णय लेने में माहिर प्रोफेसर अवस्थी बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। कंप्यूटर साइंस के विशेषज्ञ प्रो. अवस्थी विशाल बौद्धिक क्षमता और गहरी समझ के साथ समसामयिक घटनाओं को समझने और उनका विश्लेषण करने की अदभुत क्षमता रखते है । उन्हें उनके सेवाकाल के दौरान सर्वश्रेष्ठ टीचिंग अवार्ड से सम्मानित किया गया था और उनके पास गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अनुसंधान, अकादमिक प्रशासन और संस्थान निर्माण का एक प्रतिष्ठित ट्रैक रिकॉर्ड है। अपने लगभग 30 वर्षों की शैक्षणिक यात्रा के दौरान प्रोफेसर अवस्थी ने कई महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित पदों को शोभायमान किया है। उन्होंने एनआईटी जालंधर के पूर्णकालिक निदेशक के रूप में 5 साल का कार्यकाल पूरा किया है। उनके पास एनआईटी दिल्ली के निदेशक का अतिरिक्त प्रभार था और वे एनआईटी हमीरपुर के कार्यवाहक निदेशक भी रह चुके है।
प्रोफेसर अवस्थी ने फ़रवरी 2022 को एनआईटी उत्तराखंड के निदेशक के रूप में पदभार संभाला था। वैसे उनका कार्यकाल पांच वर्षों के लिए था परन्तु हिमांचल प्रदेश के मंडी, जो कि उनका गृह जनपद भी है, स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में नियुक्ति मिलने के बाद उन्होंने एनआईटीयूके के निदेशक पद से त्यागपत्र दे दिया है।
प्रोफेसर अवस्थी ने एनआईटीयूके की सूरत बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उनके दो साल और तीन महीने के कार्यकाल के दौरान एनआईटीयूके ने अनुसंधान पहल, शैक्षणिक कार्यक्रमों, और परिसर विकास आदि जैसे क्षेत्रों में एक साथ कई मील के पत्थर हासिल किए है । उन्होंने जब एनआईटी उत्तराखंड के निदेशक का पदभार संभाला था उस समय उनके सामने निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देने के अलावा शैक्षणिक-अनुसंधान उत्कृष्टता, संस्थान की छवि में सुधार, विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों का डिजिटलीकरण, रैंकिंग में सुधार, खरीद प्रक्रिया को सुचारू बनाना आदि जैसी कई चुनौतियाँ थी ।
प्रोफेसर अवस्थी ने पहले दिन से ही इन सभी चुनौतियों के समाधान के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना शुरू कर दिया था। प्रोफेसर अवस्थी के नेतृत्व और मार्गदर्शन की वजह से वर्तमान में एनआईटी उत्तराखंड में एक अच्छी केंद्रीकृत कंप्यूटिंग सुविधा, अनावश्यक इंटरनेट कनेक्टिविटी और कुशल एवं प्रभावी वेबसाइट डिजाइन है । सभी विभागों/अनुभागो एवं संस्थान से सम्बंधित लगभग सभी जानकारी बाहरी दुनिया के लिए संस्थान की वेबसाइट पर उपलब्ध है ।
उनके कार्यकाल के दौरान जहा संस्थान की एनआईआरएफ रैंकिंग में सुधार हुआ वही सालों से लंबित स्थायी परिसर निर्माण मामलें में भी तेजी आयी और स्थापना के 14 सालो बाद एनआईटी के स्थायी परिसर निर्माण की निविदा प्रक्रिया अपने अंजाम तक पहुंच पायी। इसके अलावा श्रीनगर में भी अस्थाई कैंपस को एनआईटी के स्थाई हिस्से में तब्दील करते हुए रेशम फार्म में छात्रों के लिए हॉस्टल का निर्माण किया गया।
जटिल खरीद प्रक्रिया के चलते किसी सामन की खरीददारी करना मुश्किल था । प्रयोगशालाओं के लिए उपकरणों की खरीद और छात्रावास के रखरखाव एवं मरम्मत कार्य के लिए खरीद के कई मामले लंबित थे । प्रोफेसर अवस्थी ने विभागाध्यक्षों, सहायक सचिवों औऔर कुलसचिव के साथ मिलकर खरीद प्रक्रिया को काफी हद तक सुगम बना दिया और सभी अध्यक्ष/संकायाध्यक्षों और रजिस्ट्रार को 5 लाख तक की वित्तीय शक्तियां भी प्रदान की।
छात्रों के प्लेसमेंट प्रतिशत और वार्षिक औसत सैलरी पैकेज में बढ़ोत्तरी, राष्ट्रीय शिक्षानीति 2020 का क्रियान्वयन, अकादमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट्स की स्थापना , पाठ्यक्रमों एवं टीचिंग लेर्निंग का अकादमिक ऑडिट, बीटेक में प्रवेश क्षमता 180 से बढ़ाकर 200 और संस्थान पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश को 40 से बढ़ाकर 60 सीटें करना भी उनके कार्यकाल की उपलब्धि रही है ।
एनआईटी उत्तराखंड में नए कोर्सेज का संचालन उनके कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है । संस्थान के विज्ञान विभागों में अच्छी संकाय संख्या हूने के बावजूद एमएससी प्रोग्राम नहीं था कार्यक्रम था। प्रोफेसर अवस्थी ने इस दिशा में अथक प्रयास किया जिसके परिणामस्वरूप 20-20 सीटों के साथ फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित में एमएससी शुरू करने के प्रस्ताव को एनआईटी उत्तराखंड के बीओजी ने स्वीकार कर लिया था और अब, शिक्षा मंत्रालय ने भी जुलाई 2024-25 से एमएससी प्रोग्राम शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।