विजय बहुगुणा
श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो) । उत्तराखंड में आपदाओं के दौरान और उसके बाद प्रभावित लोगों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा और मनोसामाजिक सहयोग सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक सराहनीय कदम उठाया है। राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, उत्तराखंड द्वारा भारत सरकार एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहांस), बेंगलुरु के सहयोग से वीर चंद्र सिंह गढ़वाली श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में “पाँच दिवसीय मनोसामाजिक सहायता प्रशिक्षण कार्यशाला” का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यशाला का शुभारंभ कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आशुतोष सयाना ने किया। उन्होंने कहा कि आपदा केवल भौतिक क्षति तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह लोगों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में मनोसामाजिक सहायता बेहद आवश्यक हो जाती है। यह प्रशिक्षण हमारे स्वास्थ्यकर्मियों को न केवल आपदा के दौरान त्वरित मानसिक सहायता देने में सक्षम बनाएगा, बल्कि वे समुदाय में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी फैला पाएंगे। प्रो. सयाना ने आगे कहा कि आपदा के बाद पुनर्वास की प्रक्रिया में मनोवैज्ञानिक सहयोग एक मजबूत नींव की भूमिका निभाता है। इस पहल से राज्य में आपदा प्रबंधन का मानवीय पहलू और अधिक सशक्त होगा।
कार्यशाला में निमहांस, बेंगलुरु से आए विशेषज्ञ डॉ. संजीव कुमार मणिकप्पा (एसोसिएट प्रोफेसर), डॉ. के. सुरेश (परामर्शदाता),डॉ. अनिल (परामर्शदाता) तथा राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण, उत्तराखंड के डॉ. पंकज सिंह (सहायक निदेशक) प्रशिक्षण दे रहे हैं। विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को बताया कि आपदा के समय मानसिक प्राथमिक सहायता (Psychological First Aid), तनाव प्रबंधन, सामुदायिक सहयोग, और आत्महत्या की रोकथाम जैसे बिंदुओं पर कार्य करना अत्यंत आवश्यक है।उन्होंने कहा कि अगले एक माह में प्रदेशभर के लगभग 100 स्वास्थ्यकर्मियों — जिनमें मनोचिकित्सक, चिकित्सा अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, काउंसलर और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं जिन को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे भविष्य की आपदाओं में प्रभावी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर सकें। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्यकर्मियों को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में साइकोसोशल केयर (मनोसामाजिक देखभाल) प्रदान करने के लिए सशक्त बनाना है। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों ने आपदा परिस्थितियों में कार्य करने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ न केवल ज्ञानवर्धक हैं बल्कि मैदान में काम करने की मानसिक तैयारी भी मजबूत करती हैं। इस अवसर पर डॉ. अंकित, डॉ. राशिद, अरविंद नेगी, मनमोहन सिंह, कमला, रेखा, संगीता, सीमा सहित डॉक्टर, काउंसलर और अन्य स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे। कार्यशाला में जनपद पौड़ी गढ़वाल, टिहरी, रुद्रप्रयाग और चमोली से आए 32 चिकित्सक, साइकाइट्रिक सोशल वर्कर, काउंसलर तथा पैरामेडिकल स्टाफ भाग ले रहे हैं।
तीन चरणों में चल रहा प्रशिक्षण कार्यक्रम
राज्य स्तर पर यह प्रशिक्षण तीन चरणों में आयोजित किया जा रहा है।
पहला चरण – जनपद देहरादून में संपन्न हुआ।
दूसरा चरण – वर्तमान में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में चल रहा है।
तीसरा और अंतिम चरण – अगले माह आयोजित किया जाएगा।