
विजय बहुगुणा
श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो)। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर राजकीय पशु चिकित्सालय श्रीनगर पशुपालन विभाग जनपद पौड़ी गढ़वाल की ओर से ब्लॉक खिर्सू के सरणा गांव में आयोजित पशु प्रदर्शनी ग्रामीण क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बनी रही। यह आयोजन न केवल पशुपालन क्षेत्र के विकास का प्रतीक रहा,बल्कि इसने पहाड़ी अंचलों में स्वावलंबन,नवाचार और परंपरा के संगम की झलक भी प्रस्तुत की। पशु प्रदर्शनी में विभिन्न वर्गों के पशुपालकों ने अपने उच्च गुणवत्ता वाले पशुधन का प्रदर्शन किया। बकरी पालन वर्ग में महावीर सिंह,मुर्गी पालन वर्ग में अमर सिंह,हैस्टेलन क्रीटान वर्ग में निर्मला देवी,जर्सी गाय वर्ग में कलावती देवी,भैंस वर्ग में मंगल सिंह और बढ़िया गाय-बछिया वर्ग में रजनी देवी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इन पशुपालकों को उनकी मेहनत,पशु देखभाल और गुणवत्ता सुधार के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्लॉक प्रमुख अनिल भंडारी तथा विशिष्ट अतिथि ग्राम प्रधान सरणा अनीता भंडारी ने विजेता पशुपालकों को पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। मुख्य अतिथि अनिल भंडारी ने कहा पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। जब तक पशुपालक आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों को नहीं अपनाएंगे,तब तक उत्पादन और आय दोनों में सुधार संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालन आजीविका का सशक्त माध्यम है और विभागीय प्रयासों से इसे और सशक्त बनाया जा सकता है। विशिष्ट अतिथि अनीता भंडारी ने कहा कि इस प्रकार की प्रदर्शनियां ग्रामीण अंचल के लोगों में जागरूकता लाती हैं और पशुधन संरक्षण की दिशा में नई सोच को जन्म देती हैं। डॉ.पूजा भारती ने कार्यक्रम में मुख्य भूमिका निभाई। उन्होंने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया और स्मृति चिन्ह प्रदान किए। उन्होंने ग्रामीणों को पशु प्रबंधन,टीकाकरण,पोषण और कृषि अनुसंधान से जुड़ी आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी दी। ज्ञान प्रकाश ने मुर्गी पालन से आयवृद्धि के उपायों पर व्याख्यान दिया,जबकि कलम सिंह नेगी,प्रभु धन प्रसाद और रामेश्वर अधिकारी ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर सुरेंद्र सिंह देव,सुंदरलाल सिंह पंवार और पशुपालन सहायक सचिन सिंह चौहान की सक्रिय सहभागिता रही। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण,महिला स्वयं सहायता समूह,छात्र-छात्राएं और पशुपालक उपस्थित रहे। प्रदर्शनी में पशुओं की गुणवत्ता,देखभाल और उत्पादन क्षमता का उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ,जिसे देखकर विशेषज्ञों ने भी सराहना की। मुख्य अतिथि अनिल भंडारी ने कहा कि हमारे पहाड़ की असली ताकत खेतों और गोशालों में बसती है। पशुपालन केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। सरणा गांव की यह पशु प्रदर्शनी उत्तराखंड की ग्रामीण चेतना का उज्ज्वल उदाहरण बनी जहां पशुधन,परिश्रम और परंपरा ने मिलकर राज्य स्थापना दिवस को अर्थपूर्ण बना दिया।