एक तरफ उत्तराखंड सरकार पलायन रोकने को कहती है लेकिन यहां का माहौल दिन प्रतिदिन भयानक होता जा रहा है, उत्तराखंड के विधायक तो अपनी कुर्सी की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहेहै लेकिन यहां की जनता की तरफ कोई ध्यान नहीं देता, कभी भूखलन का खतरा कभी बाग का खतरा तो कहीं दंगे फसाद का माहौल बनते जा रहे हैकुदरत भी पलायन करने को मजबूर कर रही है। जिनके मासूम बच्चों को बाघ अपना निवाला बना रहा है उन परिवारों का दर्द दिखाई नहीं देता नेताओं को अपने वोट की पड़ी है उस मां का दर्द तो समझो जिसका छोटा बच्चा गोद से छीन कर बाघ ने खा दिया, उत्तराखंड के सूबेदार रोड शो निकाल रहे हैं !वन विभाग भी जानबूझकर खिलवाड़ कर रहा है बन मंत्री का ध्यान अभी तक इस और नहीं जा रहा सरकार का ध्यान तो आगामी लोकसभा चुनाव की तरफ है। उत्तराखंड सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है कि हम पलायन को रोकेंगे आदमखोर बाघ को तो रोक नहीं पा रही, रोजगार के साधन तो जुटानहीं पा रही, भाजपा प्रदेसअध्यक्ष तो गांव चलो अभियान के तहत ग्रामीणों से मुलाकात कार्यक्रम चला रहे हैं! क्या इस तरह उत्तराखंड का पलायन रुक जाएगा? खुद तो नेता लोग सुरक्षा के घेरे में निवास करते हैं लेकिन जहां आदमखोर बाग़ लगा है वहां पिंजरा लगाकर जा रहे हैं। शांतना देने के लिए आ भी गए तो_खाली आंसू पूछ कर चले जाते हैं, अगर गांव का निवासी अति आवश्यकता पड़ने पर पेड़ काटता है तो उस पर जुर्माना और सजा का कानून लागू हो जाता है लेकिन जब आदमी व पालतू जानवरों को खाता है तो_उसके लिए झूठा दिलासा देने के अलावा कुछ नहीं है ?वा रे उत्तराखंड सरकार का अंधा कानून इसी को कहते हैं जंगल राज।
- परमानद कुकरेती
श्रीनगर गढ़वाल