विजय बहुगुणा
श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो)। राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में ‘द इंपॉर्टेंस ऑफ रिसर्च इन पब्लिक हेल्थ’ विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेम्फिस के डीन, प्रसिद्ध पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. आशीष जोशी पहुंचे। उन्होंने मेडिकल कॉलेज में रिसर्च के महत्व, क्लीनिकल, मेडिकल और पब्लिक हेल्थ सेक्टर में इसके बढ़ते प्रभाव तथा भविष्य की आवश्यकताओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि शोधार्थी यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेम्फिस के साथ सहयोग करना चाहते हैं, तो हर स्तर पर उन्हें पूरा समर्थन प्रदान किया जाएगा।कार्यक्रम का शुभारंभ मेडिकल कॉलेज के प्रेक्षागृह में दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। डॉ. आशीष जोशी ने संबोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया तेजी से बदल रही है। नई बीमारियाँ सामने आ रही हैं, स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ बढ़ रही हैं और समुदाय की हेल्थ-नीड्स भी लगातार परिवर्तित हो रही हैं। ऐसे समय में मेडिकल छात्रों के लिए केवल मरीजों का इलाज करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें यह समझना भी बहुत ज़रूरी है कि बीमारियाँ क्यों बढ़ रही हैं, किन कारकों का समुदाय पर प्रभाव पड़ रहा है और इन्हें रोकने के लिए कौन–कौन से उपाय संभव हैं। यही कारण है कि रिसर्च मेडिकल शिक्षा का एक आवश्यक और समान रूप से महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए।उन्होंने कहा कि रिसर्च से चिकित्सा छात्रों को बीमारी के वास्तविक कारणों को समझने में मदद मिलती है। डॉक्टर केवल उपचार देने तक सीमित नहीं रहते, बल्कि बीमारी को रोकने, समुदाय तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुँचाने और कठिन इलाकों—जैसे पहाड़ी क्षेत्रों, दूरदराज़ गांवों और कम संसाधनों वाले क्षेत्रों—में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रिसर्च छात्रों में नई सोच विकसित करती है और क्लीनिकल प्रैक्टिस के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण को मजबूत बनाती है।डॉ. जोशी ने बताया कि रिसर्च मेडिकल छात्रों को आगे की पढ़ाई, स्पेशलाइजेशन और अंतरराष्ट्रीय अवसरों के नए रास्ते प्रदान करती है। शोध के दौरान वे अन्य संस्थानों और विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर प्रोजेक्ट तैयार कर सकते हैं, जिससे पब्लिकेशन, रिसर्च पेपर, फंडिंग और ग्रांट्स जैसी सुविधाएँ मिलती हैं। इससे मेडिकल कॉलेज की प्रतिष्ठा और विज़िबिलिटी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती है।उन्होंने ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों की समस्याओं पर विशेष चर्चा करते हुए कहा कि कई गाँवों में अस्पतालों की कमी, कमजोर कनेक्टिविटी और सीमित संसाधनों के कारण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित होती हैं। रिसर्च यह पहचानने में मदद करती है कि किन इलाकों में कौन सी बीमारी अधिक फैल रही है, कौन-सी सुविधा तत्काल आवश्यक है और किस तकनीक या साधन से इसका हल निकाला जा सकता है। इससे सरकार और स्वास्थ्य विभाग समय पर उचित नीति तैयार कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों से मेडिकल, डेंटल और नर्सिंग छात्र गाँवों में जाकर डेटा एकत्रित करते हैं और बीमारी के पैटर्न को समझते हैं, जिससे मरीजों को समय पर उपचार मिल पाता है और अस्पताल बेहतर योजना बना पाते हैं। कहा कि पूरे भारतवर्ष से 18 सौ छात्र यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेम्फिस से मिलकर शोध कर रहे हैं।डॉ. जोशी ने रिसर्च को “लाइफ–लॉन्ग लर्निंग” बताते हुए कहा कि रिसर्च केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह निरंतर सीखने, नए समाधान खोजने और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने की प्रक्रिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मेडिकल कॉलेज श्रीनगर को रिसर्च को शिक्षा के मुख्य आधार के रूप में स्थापित करना चाहिए, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ संसाधन सीमित हैं और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। रिसर्च से यह समझ आता है कि लोगों की वास्तविक आवश्यकताएँ क्या हैं और उन्हें किस तरह प्रभावी तरीके से पूरा किया जा सकता है। यदि मेडिकल छात्रों को रिसर्च से जोड़ा जाए, तो वे केवल बीमारियों का इलाज ही नहीं करेंगे बल्कि एक स्वस्थ समाज और मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण में भी योगदान देंगे।कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने कहा कि MBBS के बाद छात्र विभिन्न विशेषज्ञताओं का चयन करते हैं, लेकिन आज सार्वजनिक स्वास्थ्य चिकित्सा जगत का अत्यंत विस्तृत और महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका है। उन्होंने बताया कि डॉ. आशीष जोशी, जो वर्ष 2000 में वेलिंगटन (वर्तमान डॉ. राम मनोहर लोहिया) अस्पताल में कार्यरत थे, आज अमेरिका में पब्लिक हेल्थ के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। प्राचार्य ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा का उद्देश्य केवल शिक्षण और क्लीनिकल सेवाएँ प्रदान करना नहीं है, बल्कि अनुसंधान को बढ़ावा देना भी आवश्यक है, जो अक्सर उपेक्षित रह जाता है। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाने वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं पर गंभीर शोध की आवश्यकता है और कॉलेज का MRU सहित कई विभाग इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रहे हैं।डॉ. सयाना ने आग्रह किया कि डॉ. जोशी समय–समय पर कॉलेज आकर विद्यार्थियों और संकाय का मार्गदर्शन करें तथा किसी दूरस्थ गाँव को गोद लेकर वहाँ जन–स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में कार्य प्रारंभ किया जाए। साथ ही उन्होंने कॉलेज मैगज़ीन के प्रायोजन एवं शोध लेखों के प्रकाशन में सहयोग का भी अनुरोध किया।अंत में प्राचार्य ने डॉ. आशीष जोशी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कॉलेज परिवार उनके मार्गदर्शन से अवश्य प्रेरित होगा। कार्यशाला में डॉ विनिता रावत, डॉ दीपा हटवाल, डॉ नियति एरेन, डॉ दयाकृष्ण टम्टा, डॉ कैलाश गैरोला, डॉ किंगसुग लोहान, डॉ अनिल द्विवेदी, डॉ दीपक द्विवेदी सहित मेडिकल कॉलेज के संकाय सदस्य, शोधार्थी तथा MBBS के छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।