श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो)। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के डॉ. अंबेडकर उत्कृष्टता, जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र एवम देवभूमि विचार मंच के संयुक्त तत्वाधान में आज कारगिल विजय दिवस मनाया गया। यह दिन है कारगिल विजय दिवस का, जिसने हमारे देश के वीर जवानों की साहस, बलिदान, और अटल संकल्प का प्रतीक बनकर भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गया है। 25 वर्ष पूर्व, हमारे बहादुर सैनिकों ने कारगिल की बर्फीली चोटियों पर अपने अदम्य साहस और अडिग संकल्प से दुश्मन को धूल चटा कर हमारी मातृभूमि की रक्षा की थी। इन कठिन और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमारे जवानों ने धैर्य और हिम्मत का परिचय दिया। 60 दिनों तक चले इस संघर्ष में, हमारे सैनिकों ने 18,000 फीट की ऊंचाई पर, अत्यंत प्रतिकूल मौसम में, सीमित संसाधनों के बावजूद दुश्मनों को हराने का अद्वितीय पराक्रम दिखाया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में केंद्र के समन्वयक एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र गढ़वाल के अध्यक्ष प्रो. एम. एम. सेमवाल ने कारगिल विजय दिवस के बारे में विस्तृत जानकारी श्रोताओं के बीच रखी। प्रो. सेमवाल ने कारगिल युद्ध से पहले के भारत पाक संबंधों, पूर्ववर्ती विभिन्न युद्धों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों एवम कई अन्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला।
कारगिल युद्ध सिर्फ एक सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि यह हमारे राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा का प्रतीक था। इस संघर्ष में 527 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी, और 1363 से अधिक घायल हुए। इन वीरों के बलिदान के कारण ही आज हम स्वतंत्रता की हवा में सांस ले रहे हैं। कई युवा सैनिकों एवम सैन्य अधिकारियों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। जिनमें प्रमुख नाम कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन अनुज नय्यर, लेफ्टिनेंट मनोज पांडे, ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव, राइफलमैन संजय कुमार आदि ने अदम्य साहस का परिचय देकर देश की रक्षा की।
प्रो सेमवाल ने कहा कि आज, जब हम कारगिल विजय दिवस के 25 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं, हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम सदैव अपने शहीदों के बलिदान को स्मरण करेंगे और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएंगे। आइए, हम सब मिलकर इन वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करें और उनकी स्मृति को सदा के लिए जीवित रखें।
डॉ. रोहित महर आंतरिक सुरक्षा और संबंधित खतरों के बारे में अपना वक्तव्य दिया। शोध छात्र सौरभ ने नागरिक कर्तव्य के बारे में अपना पक्ष रखा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशीष बहुगुणा ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस अवसर पर कारगिल विजय दिवस से संबंधित डॉक्युमेंट्री को भी दिखाया गया।
इस मौके पर विश्वविद्यालय से विभिन्न विभागों के प्राध्यापक उपस्थित रहे। जिनमें डॉ. मुकेश मैठाणी, डॉ. जसपाल सिंह चौहान, डॉ. रोहित महर, डॉ. प्रशांत आर्य, डॉ. आशीष बहुगुणा, डॉ. प्रकाश सिंह, डॉ. प्रश्ना मिश्रा, अनेक शोधार्थी और छात्र छात्राएं भी उपस्थित रहे।