
विजय बहुगुणा
श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो) । गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय ने प्रतिभागियों को सफल स्टार्ट-अप शुरू करने के तरीके के बारे में बुनियादी जानकारी प्रदान करने के लिए एक सत्र आयोजित किया। सत्र का उद्देश्य नवोदित उद्यमियों को वह ज्ञान और संसाधन प्रदान करना था जिसकी उन्हें स्मार्ट निर्णय लेने, कानूनी बाधाओं से बचने और शुरू से ही नैतिक स्टार्ट-अप शुरू करने के लिए आवश्यकता होती है।
सोमवार को हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग एवं इंस्टीट्यूट इनोवेशन काउंसिल (आई. आई. सी.) के संयुक्त तत्वावधान के अंतर्गत ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग मे एक विशेष उद्यमिता सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. ओ. पी. गुसाईं, अधिष्ठाता, छात्र कल्याण, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को उद्यमिता के माध्यम से सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि स्टार्ट-अप न केवल आत्मनिर्भरता का मार्ग है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का एक सशक्त माध्यम भी है। प्रो. आर. एस. नेगी, विभागद्यक्ष, ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग एवं निदेशक, चौरास परिसर, ने कहा ऐसे आयोजन छात्रों के नवाचारी सोच और व्यावसायिक दृष्टिकोण को आत्मसात करने मे मदद करेगा, जो आने वाले समय में उन्हें नेतृत्व की भूमिका के लिए तैयार करेंगे। आई. आई. सी. के अध्यक्ष डॉ. राम साहू ने आई. आई. सी. की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि हम छात्रों को विचार से व्यवसाय तक की यात्रा में मार्गदर्शन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने छात्रों को उद्योग या बाजार की समस्याओं के लिए नवीन विचार या अद्वितीय समाधान विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सत्र के मुख्य वक्ता नवीन पटवाल, एक सफल युवा उद्यमी, ने एक स्टार्ट-अप के प्रारंभिक नियोजन चरणों का विश्लेषण करके तथा समस्या सत्यापन, बाजार अनुसंधान और न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद विकास के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिभागियों को स्केलेबिलिटी और वास्तविक दुनिया की समस्या समाधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके साथ ही डॉ. जे. एस. बुटोला ने कानूनी प्रक्रियाओं और नैतिक विचारों की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा एक उद्यमी को सामाजिक जिम्मेदारियों और नैतिक मानकों का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। कार्यक्रम की विशेष वक्ता डॉ. प्रीति सिंह, संस्थापक सुभग हिमालयन प्रा. लि., ने फंड जुटाने की रणनीतियों और निवेशकों के प्रति संस्थापकों के नैतिक दायित्वों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने एक इनक्यूबेशन सेंटर के महत्व और शुरुआती चरण के स्टार्ट-अप के लिए समग्र वित्तीय संचालन के प्रबंधन पर भी प्रकाश डाला।
अंत में डॉ. विनीत के. मौर्य ने सभी गणमान्य अतिथियों, वक्ताओं, प्रतिभागियों और आयोजन समिति के सदस्यों का धन्यवाद करते हुए सत्र के सफल आयोजन के लिए सभी के योगदान की सराहना की।
सत्र का समापन प्रेरक संवाद, और विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर के साथ हुआ, जिसने प्रतिभागियों में नवाचार और उद्यमिता के प्रति नई ऊर्जा का संचार किया। कार्यक्रम मे ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के शिक्षक, डॉ. संतोष सिंह, डॉ. सिमरन सैनी, शोधार्थी नबदीप सिंह, एवं अन्य विभाग के शोधार्थी एवं विद्यार्थी मोजूद रहे । कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी अंकित सती एवं प्रतिभा रावत ने किया।