विजय बहुगुणा
श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो)। आखर ट्रस्ट द्वारा सौरभ होटल श्रीकोट में डॉ. गोविन्द चातक जयन्ती के उपलक्ष्य में ‘ डा.गोविन्द चातक स्मृति व्याख्यान’ एवं ‘डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान ‘ समारोह का आयोजन किया गया। गढ़वाली गीत साहित्य में अपने चर्चित एवं सुन्दर गीतों के माध्यम से अमूल्य योगदान देने हेतु वर्ष -2023 का ‘डॉ. गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान ‘ वरिष्ठ गढ़वाली गीतकार एवं कवि कोटद्वार निवासी श्री महेशानन्द गौड़ ‘चन्द्रा’ को प्रदान किया गया । अधिक वृद्धावस्था एवं अस्वस्थता के कारण यह सम्मान उनकी ओर से उनके परिवारिक सदस्य आशीष ध्यानी ने ग्रहण किया। सम्मान स्वरूप उन्हें रुपए ग्यारह हजार (11,000/ ) की धनराशि के साथ अंग वस्त्र , सम्मान पत्र एवं विशेष आखर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। ग्यारह हजार रुपए की सम्मान राशि डॉ.चातक जी के परिवार की ओर से प्रदान की गई।
मुख्य अतिथि हे.न.ब.ग. केंद्रीय विश्व विद्यालय कला, संचार एवं भाषा की संकायाध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध लेखिका प्रो. मंजुला राणा ने कहा कि- ‘डॉ.चातक ने गढ़वाल के लोक साहित्य को सहेजने एवं संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। लोक साहित्य में डॉ.गोविन्द चातक का योगदान चिरस्मरणीय एवं अतुलनीय है।उनको वह सम्मान नहीं मिला जो डॉ. चातक को मिलना चाहिए था।’उन्होंने डॉ. गोविन्द चातक जी के साथ के अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ. विष्णुदत्त कुकरेती ने कहा कि -‘डॉ. चातक की जयन्ती के अवसर पर आखर द्वारा हर वर्ष जो कार्यक्रम आयोजित किया जाता है वह सराहनीय है डॉ. चातक का व्यक्तित्व असाधारण एवं विराट था परन्तु वे हमेशा साधारण रहे ।’ विशिष्ट अतिथि प्रो. सम्पूर्ण सिंह रावत ने कहा कि – ‘डॉ.चातक ने यहाँ के सम्पूर्ण लोक साहित्य काे लिपिबद्ध करने का जो महत्वपूर्ण कार्य किया उसके लिए यहां का समाज हमेशा ऋणी रहेगा।डॉ. चातक एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। आखर का निरंतर प्रयास सराहनीय है।
कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले महेशानन्द गौड़ ‘चंद्रा’ हल्द्वानी से ऑनलाइन /लाइव जुड़े और इस सम्मान हेतु आखर का आभार व्यक्त किया। कहा कि- ‘डॉ.चातक जी ने यहां के लोक साहित्य के लोक गीतों का संग्रह कर संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अतिथि वक्ता प्रसिद्ध लेखक डॉ. अरुण कुकसाल ने कहा कि – ‘जब भी उत्तराखंड के लोक साहित्य का जिक्र होगा तो डॉ. चातक जी का जिक्र हमेशा अवश्य होगा।’ गढ़वाली लोक साहित्य एवं गढ़वाली भाषा में डॉ.गोविन्द चातक जी द्वारा दिए गए अवदान पर उन्होंने विस्तार से बात की।
गरुड़, कुमाऊं से आए अतिथि वक्ता, लोक साहित्य विशेषज्ञ एवं गढ़वाली गीतकार डॉ. प्रीतम अपछ्याण ने कहा कि – आखर साहित्य सम्मान से सम्मानित होने वाले श्री महेशानन्द गौड़ अपने जमाने के एक उच्च कोटि के गीतकार हुए हैं और आज के प्रपेक्ष्य में ऐसे ही अच्छे गीतों की आवश्यकता है। उन्होंने लोक साहित्य पर भी अपनी बात रखी।
ट्रस्ट के अध्यक्ष संदीप रावत ने सम्मानित होने वाली विभूति महेशानन्द गौड़ ‘चंद्रा ‘का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सभी के सम्मुख रखते हुए कहा कि – ‘महेशानन्द गौड़ ने अपने कालजयी गीतों के माध्यम से गढवाली भाषा को एक नया आयाम दिया और इसे विश्व पटल पर पहचान दिलायी। उनके गीतों में यहां का प्रकृति चित्रण बखूबी हुआ है और उनके कई गीत आज लोकगीत के रूप में गाए जाते हैं।’ संदीप रावत ने सन 1962 में रचित उनका चर्चित गीत ‘चल रूपा बुरांसी का फूल बणी जौंला ‘ भी सुनाया।
इस अवसर पर कवयित्री अनीता काला द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीलम नेगी ने किया। आखर के उपाध्यक्ष डॉ. नागेंद्र रावत ने डॉ.गोविन्द चातक जी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सभी के सम्मुख रखा।कार्यक्रम के अंत में आखर के अध्यक्ष संदीप रावत ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में डॉ.गोविन्द चातक जी के परिवार की ओर से उनके पौत्र सौरभ बिष्ट, भूपेन्द्र नेगी, डॉ. नीलम नेगी,घण्टाकर्ण देवता के रावल दिनेश जोशी,प्रसिद्ध समाज सेवी अनिल स्वामी , गंगा असनोड़ा, नरेश नौटियाल, रेशमा पंवार, अंजना घिल्डियाल, गंगा असनोड़ा , गंभीर सिंह रौतेला, जसपाल चौहान,कैप्टेन सते सिंह भण्डारी, डॉ.गोविन्द चातक के गांव से रघुबीर सिंह कंडारी, भरत सिंह कंडारी, उम्मेद सिंह मेहरा, सौरभ पाण्डेय,
मुख्य ट्रस्टी लक्ष्मी रावत,रेखा चमोली,शिक्षक -शिक्षिकाओं, शोधार्थी, साहित्यिक एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़े व्यक्तियों की उपस्थिति के साथ कार्यक्रम में मीडिया जगत, श्रीकोट -श्रीनगर की सम्भ्रांत जनता उपस्थित थी ।🙏🙏