विजय बहुगुणा
श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो) । बेस अस्पताल में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन (Biomedical Waste Management) को लेकर एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग अधिकारियों को बायोमेडिकल वेस्ट के सुरक्षित संग्रहण, वर्गीकरण, निपटान और सीपीसीबी (CPCB) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप अपशिष्ट प्रबंधन की विस्तृत जानकारी दी गई।
यह प्रशिक्षण भारत एनवायरनमेंटल सॉल्यूशंस के तत्वावधान में संपन्न हुआ। विशेषज्ञों ने नर्सिंग स्टाफ को बताया कि अस्पतालों से निकलने वाले जैविक एवं संक्रामक कचरे को यदि वैज्ञानिक तरीके से नहीं निपटाया गया तो यह न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। इसलिए बायोमेडिकल वेस्ट का उचित वर्गीकरण, संग्रह, परिवहन और उपचार अत्यंत आवश्यक है। प्रशिक्षण के दौरान नर्सिंग स्टाफ को चार रंगों काला, नीला, पीला और लाल में वर्गीकृत डस्टबिन के उपयोग की विस्तृत जानकारी दी गई। बताया गया कि किस प्रकार सुइयों, ब्लड बैग्स, ड्रेसिंग मटेरियल, प्लास्टिक और अन्य प्रकार के मेडिकल कचरे को निर्धारित रंग के अनुसार अलग-अलग डस्टबिन में डाला जाना चाहिए। इस मौके पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजेय विक्रम सिंह ने कहा कि, “बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर अस्पताल में समय-समय पर प्रशिक्षण आयोजित किए जाते हैं। इस बार यह ट्रेनिंग विशेष रूप से नव नियुक्त स्टाफ के लिए आयोजित की गई, ताकि वे भी अस्पताल में अपशिष्ट प्रबंधन की जिम्मेदारी को सही ढंग से निभा सकें। यह प्रशिक्षण रोगियों की सुरक्षा के साथ-साथ स्वच्छ और सुरक्षित अस्पताल वातावरण बनाए रखने की दिशा में अहम कदम है। अस्पताल प्रशासन जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के सभी पहलुओं में विशेषज्ञता रखने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी प्रतिबद्ध है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में नर्सिंग स्टाफ ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन की बारीकियों को समझने में गहरी रुचि दिखाई।
यह पहल न केवल अस्पताल की कार्यशैली को अधिक व्यवस्थित और सुरक्षित बनाती है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी की नई मिसाल भी पेश करती है। इस मौके पर अभिषेक शर्मा, आशीष चौधरी, विजय राजपूत, डॉ. धंनजय डोभाल ने जानकारी दी।