विजय बहुगुणा
श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो) । श्रीक्षेत्र के पवित्र कमलेश्वर मोहल्ले में इन दिनों भक्ति,श्रद्धा और पितृ स्मरण का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। रतूड़ी परिवार द्वारा अपने पिता स्व.द्वारिका प्रसाद रतूड़ी और माता स्व.सुशीला देवी की पावन स्मृति में आयोजित सप्ताह भर चल रही श्रीमद्भागवत कथा का आज सातवां दिवस अत्यंत श्रद्धाभाव और भक्ति रस से ओतप्रोत वातावरण में संपन्न हुआ। व्यास पीठ पर विराजमान आचार्य हरिशरण महाराज ने सातवें दिवस की कथा में भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप दर्शन का अत्यंत भावनात्मक और दिव्य वर्णन कर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। आचार्य ने कहा जब अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से उनके वास्तविक स्वरूप को देखने की इच्छा की,तब भगवान ने उसे दिव्य दृष्टि प्रदान की और अपना विराट रूप दिखाया। यह दृश्य हमें यह सिखाता है कि ईश्वर हर कण, हर श्वास और हर प्राणी में विद्यमान हैं। जो व्यक्ति नम्रता, भक्ति और प्रेम से ईश्वर का स्मरण करता है,वही सच्चा भक्त कहलाता है। उन्होंने आगे कहा कि पितरों की स्मृति में कथा आयोजन करना केवल धार्मिक परंपरा नहीं,बल्कि संस्कार और कृतज्ञता का अमूल्य प्रतीक है। पितृ हमारे जीवन की जड़ें हैं। उनके आशीर्वाद से ही परिवार और समाज में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पितृ श्रद्धा से बढ़कर कोई साधना नहीं,आचार्य ने कहा। कथा के दौरान जब उन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं,गोवर्धन धारण और गीता उपदेश का विस्तार से वर्णन किया,तो पूरा पंडाल राधे-राधे और जय श्रीकृष्ण के जयघोष से गूंज उठा। दीपों की रौशनी,शंखध्वनि और हरिनाम संकीर्तन से पूरा कमलेश्वर मोहल्ला भक्ति में सराबोर हो उठा। संध्या आरती के पश्चात श्रद्धालुओं ने दीप प्रज्वलित कर एक अलौकिक दृश्य प्रस्तुत किया। आज रात भक्ति जागरण का आयोजन होगा,जिसमें स्थानीय भजन मंडलियां प्रस्तुति देंगी। वहीं कल 27 अक्टूबर को कथा की पूर्णाहुति एवं विशाल भंडारे के साथ यह पवित्र सप्ताहिक कथा संपन्न होगी। पूरे आयोजन की व्यवस्थाओं में वीरेन्द्र रतूड़ी,पूनम रतूड़ी,राजेन्द्र रतूड़ी,उर्मिला रतूड़ी समेत परिवार के सभी सदस्य तन-मन-धन से जुड़े हुए हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि इस कथा ने न केवल पितरों की आत्मा को शांति दी है,बल्कि समाज में भक्ति,एकता और संस्कारों की भावना को फिर से जीवंत कर दिया है। इन दिनों कमलेश्वर मोहल्ला हर शाम भक्ति गीतों,शंख-घंटा ध्वनि और हरिनाम संकीर्तन से जगमगा उठा है। पड़ोसी क्षेत्रों से भी श्रद्धालु इस दिव्य आयोजन में भाग लेने पहुंच रहे हैं। पितृ स्मरण केवल संस्कार नहीं,आत्मा का आभार है,और भक्ति वह दीप है,जो जीवन के हर अंधकार को आलोकित करता है। व्यासपीठ पर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का दिव्य वर्णन करते आचार्य हरिशरण महाराज,भक्ति में लीन श्रद्धालु-हरिनाम संकीर्तन से गूंजता कमलेश्वर मोहल्ला,रतूड़ी परिवार के सदस्य श्रद्धालुओं की सेवा और आयोजन व्यवस्था में समर्पित भाव से जुटे हुए। समापन पंक्ति प्रेरक भाव के साथ-रतूड़ी परिवार की यह भक्ति यात्रा केवल स्व.द्वारिका प्रसाद रतूड़ी और स्व.सुशीला देवी के प्रति श्रद्धांजलि नहीं,बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह संदेश है कि भक्ति, सेवा और संस्कार ही जीवन की सच्ची आराधना हैं।