विजय बहुगुणा
देवप्रयाग(ब्यूरो) । माणिकनाथ रेंज देवप्रयाग, नरेन्द्रनगर वन प्रभाग द्वारा स्थानीय ग्रामीण महिलाओं, स्वयं सहायता समूहों तथा विद्यालयी छात्राओं के लिए पिरूल (चीड़ की सूखी पत्तियों) से कलाकृतियाँ एवं हस्तशिल्प उत्पाद निर्माण विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन जामणीखाल में किया गया। प्रशिक्षण के मुख्य उद्देश्यों में प्रमुखतयः महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार एवं आय के नए अवसर विकसित करना, पिरूल का उपयोग कर जंगलों में लगने वाली आग की सम्भावना को कम करना तथा वन संरक्षण और समुदाय भागीदारी को मजबूत करना आदि शामिल है।
इस प्रशिक्षण में स्थानीय महिलाओं को पिरूल से टोकरियाँ, चूड़ियाँ, की-चेन, हैंडबैग, कोस्टर, कॉस्ट्यूम ज्वेलरी तथा सजावटी उत्पाद बनाने की विधियाँ सिखाई गईं। प्रशिक्षिका श्रीमती मन्जू आर0शाह, पिरूल वुमन ने मार्केटिंग, पैकेजिंग और मूल्य निर्धारण की जानकारी भी प्रदान की, ताकि महिलाएँ भविष्य में अपने उत्पादों को बाजार में बेचकर आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ सकें। पिरूल हर वर्ष गर्मियों में अधिक मात्रा में सूखकर जंगलों की जमीन पर फैल जाता है, जिससे वनाग्नि की घटनायें बढती है। महिलाओं द्वारा इसका संग्रहण और हस्तशिल्प निर्माण न केवल पर्यावरण संरक्षण का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि वर्तमान में वन विभाग द्वारा चलाए जा रहे वन सुरक्षा एवं आग नियंत्रण अभियान को भी सहयोग देता है। इस अवसर पर अधिकारियों ने अपने सम्बोधन में बताया कि, ग्रामीण समुदायों की सक्रिय भागीदारी से वन संसाधनों का संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और सतत् आजीविका विकास को नई दिशा मिलेगी।
प्रशिक्षण कार्यशाला में विनोद बिष्ट, ब्लॉक प्रमुख देवप्रयाग, मदन सिंह रावत, वन क्षेत्राधिकारी माणिकनाथ रेंज, कृति नेगी, प्रशिक्षु वन क्षेत्राधिकारी, ग्राम प्रधान झल्ड, ग्राम प्रधान संकुल्ड, ग्राम प्रधान कोलाकाण्डी, ग्राम प्रधान गुजेठा, ग्राम प्रधान डांग तथा सुरेन्द्र दत्त सेमवाल, वन दरोगा, अरविन्द कुमार, वन आरक्षी, सन्दीप पँवार वन आरक्षी, विद्यालयी छात्राओं सहित अन्य ग्रामीणों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों द्वारा वन विभाग के माध्यम से स्थानीय ग्रामीण महिलाओं के उत्थान हेतु चलवाये जा रहे प्रशिक्षण कार्यशाला को एक सराहनीय कदम बताते हुये इसे ग्रामीण महिलाओं की आजीविका में वृद्धि एवं आत्मनिर्भर बनाने हेतु एक महत्वपूर्ण कारक बताते हुये भविष्य हेतु अपनी शुभकामनाएँ दीं।