
विजय बहुगुणा
पौड़ी गढ़वाल(ब्यूरो)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशन में राज्य सरकार द्वारा किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे प्रयास अब धरातल पर सफल होते दिखाई दे रहे हैं। पहाड़ की संकरी पगडंडियों के बीच बसे छोटे से गाँव पातल में मेहनत, उम्मीद और आत्मनिर्भरता की एक प्रेरक कहानी लिखी जा रही है।विकासखंड एकेश्वर के ग्राम पातल के किसान कुलदीप किशोर जोशी, जिन्होंने लॉकडाउन के कठिन दौर में भी हिम्मत नहीं हारी, आज आधुनिक खेती के प्रतीक बन चुके हैं। जब अधिकांश लोगों का जीवन ठहर-सा गया था, तब उन्होंने अपने खेतों में नयी उम्मीद बोयी। उद्यान विभाग की सहायता से उन्होंने 200 कीवी के पौधे लगाए। समय के साथ यह पहल उनके परिश्रम, संकल्प और विभागीय सहयोग का प्रतीक बन गयी। आज वही पौधे उनकी मेहनत का फल दे रहे हैं।कुलदीप जोशी बताते हैं कि उद्यान विभाग के विशेषज्ञ समय-समय पर खेत पर पहुँचकर तकनीकी मार्गदर्शन देते रहे, जिससे खेती में बेहतर परिणाम मिलते गए। इसी समर्पण का परिणाम है कि इस वर्ष उन्हें 5 से 6 क्विंटल कीवी का उत्पादन प्राप्त हुआ है, जो स्टोरेज के रूप में सुरक्षित है। साथ ही लगभग 1 क्विंटल फल अभी भी पेड़ों पर लदे हैं।कुलदीप जोशी के पास अब दो स्टोरेज यूनिट्स भी हैं, जिससे वे अपने उत्पाद को सुरक्षित रखकर बाजार में बेहतर मूल्य प्राप्त कर पाते हैं। उन्होंने इस वर्ष 1 से 1.5 क्विंटल कीवी बेचकर उल्लेखनीय आमदनी अर्जित की। पिछले वर्ष जहाँ उन्हें लगभग ₹1,20,000 का लाभ हुआ था, वहीं इस बार ₹2,50,000 तक की आय होने की संभावना है। यह उनकी प्रगति का स्पष्ट संकेत है।जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवारी ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में उद्यान विभाग का लक्ष्य किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़ाकर आधुनिक बागवानी और फल उत्पादन की ओर प्रोत्साहित करना है। कुलदीप जोशी जैसे किसानों ने यह साबित किया है कि सही तकनीक और निरंतर मार्गदर्शन से पहाड़ की भूमि भी उच्च मूल्य वाले फलों की उपज में अग्रणी बन सकती है।कुलदीप जोशी अब एक आत्मनिर्भर किसान के रूप में पहचाने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार की योजनाओं, विभागीय सहयोग और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से आज ग्रामीण किसान भी आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। जब मेहनत, सही दिशा और सरकारी सहयोग साथ मिलते हैं, तो आत्मनिर्भरता सिर्फ सपना नहीं, हकीकत बन जाती है।कुलदीप जोशी की यह सफलता कहानी न केवल एक किसान की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह इस बात का जीवंत उदाहरण भी है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो पहाड़ की धरती भी सोना उगा सकती है।