विजय बहुगुणा
श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो) । हे० नं० ब० गढ़वाल विश्वविद्यालय के चौरास परिसर स्थित कार्यकलाप केन्द्र में ” विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस ” पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय श्री प्रकाश सिंह द्वारा की गई। यह कार्यक्रम 14/08/2021 को प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर विभाजन से हुई त्रासदी एवं उससे प्रभावित हुए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करने हेतु प्रारम्भ किया गया है।
माननीय कुलपति महोदय श्रीप्रकाश सिंह जी ने विभाजन की त्रासदी से जुड़े ऐसे तथ्यो को सम्मुख रखा जो इतिहास की मुख्यधारा में स्थान बनाने में असमर्थ हैं। प्रोफेसर श्री प्रकाश जी ने बताया कि किस प्रकार राजनैतिक ईर्ष्याओं एवं तुष्टिकरण के कारण भारत 1,234 वर्ष तक विदेशी शक्तियों का गुलाम रहा। उन्होंने आगंतुकों एवं विशेष तौर पर शोधार्थियों को विभाजन एवं स्वतन्त्रता से जुड़े नए आयामों पर काम करने का सन्देश दिया जिससे कि भारतीय अतीत के उन पहलुओं को इतिहास में स्थान दिया जा सके जो किंचित मानसिकता के कारण हाशिए पर धकेले गए हैं। साथ ही उन्होंने विश्वास दिलाया कि जल्द ही विश्वविद्यालय में विभाजन से सम्बन्धित एक केन्द्र स्थापित किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एम. एम. सेमवाल जी ने विभाजन से सम्बन्धित इतिहास लेखन में हुए राजनीतिक हस्तक्षेप का जिक्र किया। प्रोफेसर सेमवाल ने ए एन बाली की पुस्तक ‘नाऊ इट कैन बी टोल्ड’ को उद्धरण करते हुए बताया कि किस प्रकार तत्कालीन राजनीतिक शक्तियों ने विभाजन से सम्बन्धित इतिहास को प्रभावित करने का प्रयास किया है। कार्यक्रम के अन्य वक्ता प्रो. एम. एस. पंवार ने विभाजन के भौगोलिक पहलुओं को प्रस्तुत किया।
इतिहास विभाग की शोधार्थिनी मेघा कुँवर ने विभाजन के उत्तराखण्ड में प्रभाव विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. एस. एस. बिष्ट ने कार्यक्रम के उद्देश्य का सन्देश देते हुए माननीय कुलपति महोदय एवं विभिन्न विभागों से आए शिक्षक एवं विद्यार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में चौरास परिसर निदेशक प्रो. राजेन्द्र सिंह नेगी, समेत प्रो. योगम्बर सिंह फर्स्वाण, प्रो० राजपाल सिंह नेगी, प्रो. एच०बी० एस० चौहान, डॉ. सुभाष, डॉ. सुबोध, डॉ. श्वेता, डॉ. ज्योत्सना समेत शिक्षक एवं छात्र/छात्राएँ मौजूद रहे।