विजय बहुगुणा
श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो)। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र, भारत सरकार के निर्देशों पर राजकीय मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी विभाग एवं कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “विश्व जूनोसिस दिवस” (World Zoonoses Day) मनाया गया। जिसमें मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों, एमबीबीएस छात्र-छात्राओं ने विविध जागरूकता एवं शैक्षणिक गतिविधियों का आयोजन किया गया। कम्युनिटी में जाकर लोगों को जानवरों से होने वाली बीमारियों से जागरूक किया गया।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना के निर्देशन में कॉलेज में वन हेल्थ की अवधारण पर कार्यशाला के साथ ही छात्रों के बीच क्वीज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस मौके पर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विशाल शर्मा ने “One Health” की अवधारणा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि मानव, पशु और पर्यावरण — तीनों के स्वास्थ्य के बीच गहरा आपसी संबंध है। उन्होंने कहा कि इन तीनों क्षेत्रों के स्वास्थ्य को एक समन्वित दृष्टिकोण से देखना और समझना ही “One Health” की मूल भावना है। जूनोटिक (Zoonotic) बीमारियों, अर्थात ऐसी संक्रामक बीमारियां जो पशुओं से मनुष्यों में फैल सकती हैं, की बढ़ती घटनाओं के मद्देनज़र विशेषज्ञों ने इन रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए समेकित प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सा, मानव चिकित्सा एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों को मिलकर कार्य करना होगा। इस मौके पर कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की एसो. प्रोफेसर डॉ. जानकी एवं डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत सरकर के निर्देश पर हर वर्ष 6 जुलाई को “विश्व जूनोसिस दिवस” (World Zoonoses Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जनसामान्य को इन बीमारियों के प्रति जागरूक करना, उनके प्रसार के कारकों को समझना और रोकथाम हेतु आवश्यक कदम उठाना है। यह दिन उस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है जब 1885 में लुई पाश्चर ने रेबीज (Rabies) के खिलाफ पहला टीका सफलतापूर्वक विकसित किया था। इस मौके पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजेय विक्रम सिंह, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. विनीता रावत सहित विशेषज्ञों ने बताया कि जैसे-जैसे मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग कर रहा है, जंगलों और पशु आवासों में हस्तक्षेप बढ़ रहा है, जिससे मनुष्यों और जंगली जानवरों के बीच संपर्क बढ़ा है और जूनोटिक रोगों का खतरा भी बढ़ा है। “One Health” दृष्टिकोण को अपनाने से हम न केवल बीमारियों को रोक सकते हैं, बल्कि सतत विकास, खाद्य सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकते हैं। उन्होंने छात्रों, चिकित्सकों, पशु चिकित्सकों और आमजन से अपील की कि वे इस साझा जिम्मेदारी को समझें और सहयोग करें। कार्यक्रम में छात्रों द्वारा पोस्टर प्रदर्शनी, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता एवं जागरूकता रैली का आयोजन भी किया गया, जिससे लोगों में इन गंभीर बीमारियों के प्रति समझ और सतर्कता बढ़ सके। एमबीबीएस 2023 बैच के छात्र-छात्राओं के बीच क्विज़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें जूनोटिक रोगों से संबंधित प्रश्नों के माध्यम से छात्रों को जागरूक किया गया।वहीं कम्युनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा फील्ड प्रैक्टिस एरिया में स्थानीय समुदाय के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया, जिसमें लोगों को जूनोटिक रोगों की पहचान, रोकथाम और उनके प्रभाव के प्रति संवेदनशील किया गया। इस मौके पर डॉ. शेखर पाल, डॉ. जितेन्द्र देवराड़ी, डॉ. सुनील, डॉ. अनिल, अंकिता, अंजली आदि मौजूद थे।