श्रीनगर गढ़वाल(ब्यूरो)। राजकीय मेडिकल कॉलेज में न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग (एनएलपी) मे एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें एमबीबीएस एवं पैरामेडिकल छात्र छात्राओं को मन के विज्ञान एवं मन की शक्ति पर आधारित टिप्स दिये गये। नेशनल फेडरेशन ऑफ न्यूरो लिंग्विस्टिक के प्रशिक्षक एवं गढ़वाल विवि के स्कूल ऑफ साइंस के पूर्व डीन प्रो. डीएस नेगी द्वारा डेढ़ घंटे तक मन के विज्ञान के संदर्भ में छात्र-छात्राओं को जानकारी देकर लक्ष्य में सफल और चुनौतियों से सामान करने के गुरु सिखाये।
मेडिकल कॉलेज के प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यशाला में प्रो. नेगी ने कहा कि न्यूरो लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग (एनएलपी) एक मन का विज्ञान कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि कई छात्र ऐसे होते है जो कुछ कार्य करने से पहले घबरा जाते है और बहुत से पढ़ने के बाद भूल जाते है। ऐसे में मन के विज्ञान से कैसे याददाश्त को बेहतर बनाये इसके लिए जरूरी टिप्स छात्रों को दिये। प्रो. नेगी ने कहा कि उत्तराखंड में कई छात्र पढ़ाई और लिखाई में अच्छे है, किंतु लिखित और मौखिक परीक्षा में घबरा जाते है और सही उत्तर नहीं दे पाते है। ऐसे में मन के विज्ञान के जरिए कम्युनिकेशन को बेहतर और आकर्षक बनाना और समझ पैदा करनी होगी। उन्होंने इसमें मन और भाषा के बीच संबंध पर ध्यान केंद्रित किया गया था और यह संबंध हमारे शरीर और व्यवहार को कैसे प्रभावित करता है। अभिव्यक्ति, आस्था, अनुभूति, भावना, सोच, एक्शन, प्रतिज्ञान जैसे बिंदुओं पर अपने टिप्स देकर छात्रों के लिए फायदेमंद जानकारियां दी। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने मन व भाषा का संयोजन किस तरह आपके शरीर, विचार, क्रिया, उन्नति, परिणाम पर पॉजिटिव उर्जा का संचार करता है व उच्च परिणाम देता है, यह इस कार्यशाला के माध्यम से हम सबके साथ-साथ छात्र-छात्राओं को भी सीखने को मिला। डॉ रावत का कहना है कि सीखना एक सतत् क्रिया है। हमे जीवनपर्यंत सीखने की प्रक्रिया मे रहना चाहिए। हम हर दिन कुछ ना कुछ नया सीखते है और यही ईश्वरीय प्रेरणा है आशीर्वाद है। उन्होंने इस जीवन्त कार्यशाला को आयोजित करने पर प्रो. डीएस नेगी डीन (पूर्व) हे.न.ब. केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशाला से प्रशिक्षित होकर छात्र-छात्राएं आने वाली किसी भी चुनौतियों का आसानी से मुकाबला कर अपने जीवन के लक्ष्यो को हासिल कर एक आदर्श नागिरक बनकर अपना, परिवार व समाज का कल्याण कर सकते है। इस मौके पर एएमएस डॉ. केएस बुटोला ने कहा कि मन का विज्ञान के जरिए छात्र अपने आप की समझ को और बेहतर बना सकते है। डा. दीपा हटवाल ने कहा कि आज के समय मे इस तरह की कार्यशालाएं छात्र – छात्राओ के साथ- साथ हम सबके लिए भी बहुत जरूरी है । कार्यक्रम में पुष्पा नेगी, डॉ अनिल द्विवेदी, डॉ. नियति, डॉ. सुरेन्द्र सिंह, डॉ. सतेन्द्र यादव, डॉ. हरप्रीत सिंह, डॉ. पार्थ सहित एमबीबीएस व पैरामेडिकल की छात्र-छात्रायें मौजूद रहे।